Nov 24, 2015

विवाह का एक सच यह भी है

" शादी व्यक्ति को कमजोर और बेहद डरपोक बना देती है, बल्कि एक बेहद औसत दर्जे का इंसान बना देती है। शादी बहुत ही आर्टीफीशियल चीज है। यह कई सारे डूज़ ऐंड डोन्ट्स के साथ आती है। यह आपको आपके चुके हुए टाइप के  वर्ज़न पर ले जाती है। शादी के कारण आप किसी दूसरे की उम्मीदों को पूरा करने के लिए रोल्स प्ले करने लगते हैं। शादी के पहले लोग वैसा ही बोलते हैं, जैसी चीजें वास्तव में होती हैं, परन्तु शादी के बाद ऐसा होना बहुत कम पाया जाता है , जो लोग शादीशुदा रहते हैं, वे शादी से ज्यादा नफरत करते पाये जाते हैं। यह भी एक शास्वत सत्य सा है कि फिर भी विवाह के प्रति सभी में आकर्षण हिलोरें मारता ही रहता है, चलो अच्छा ही है इस डगर में भी नौजवा अनवरत शहीद हों, विवाह का सीजन भी आ रहा है। सामान्यतया  वैयक्तिक दृष्टि से विवाह पति-पत्नी की मैत्री और साझेदारी है। दोनों के सुख, विकास और पूर्णता के लिए आवश्यक सेवा, सहयोग, प्रेम और निःस्वार्थ त्याग के अनेक गुणों की शिक्षा वैवाहिक जीवन से मिलती है। मगर यह सब दिखता नहीं है या वहां तक नजर  नहीं जा रही      --------------------------------सहमति और असहमति --------------------------?

No comments:

Post a Comment

POST A COMMENT...

इन्हें भी पढ़ें : प्रकाशित आलेखों के शीर्षक