Jul 30, 2018

एक विचार 1

।।एक विचार।।
मैंने हाल ही में संचार माध्यमों से पढ़ा व सुना है की संघ लोक सेवा आयोग युवा अधिकारियों की भर्ती करने हेतु सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की उम्र सीमा अधिकतम सिर्फ 26 वर्ष करने जा रहा है ताकि देश का प्रशासन देश के सामान्य वर्ग के युवा भली-भांति संचालित कर सकें तब मेरे मन में एक प्रश्न यह उठता है कि जब प्रशासनिक अधिकारी युवा होने चाहिए, कमजोर सरकारी कर्मचारी 50 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी जाए। अधिकतम 60 साल की उम्र में रिटायर कर ही दिए जाते है क्योंकि सरकार की नजर में 60 कई उम्र के बाद कही न कही यह बुजुर्ग लोग विकास को अवरुद्ध कर रहे होते हैं तब प्रश्न उठता है कि फिर यह हमारे राजनेता लोग 60 से 80 साल की उम्र में ही सबसे ज्यादा कहां से ऊर्जा प्राप्त करते हैं यह कौन सा ऐसा शंकारा पीते है, कहां से इनमें प्रशासनिक क्षमता का जोरदार विकास हो जाता है जो यह येनकेन प्रकारेण राजनीति के केंद्र व शासन में सर्वे सर्वा बने ही रहना चाहते हैं । जनता भी ऐसे ही अति बृद्ध नेताओं को क्यों जिताना चाहती है क्या वास्तव में इस देश के प्रशासन को संचालित करने में आखिर बिना कमोड के लैट्रिन तक न करने वाले लोग ही अब विकल्प बचे हैं इस देश मे? कही यह सत्ता के लिए देश को पीछे ले जाने की साजिश तो नही है।
आखिर जो राजनेता कब्र में पैर लटकाए हुए है सामान्यतया सर्वत्र वह ही राजनीति के शीर्ष पर है, शायद इसीलिए हमारा देश आज बहुत पीछे है और अब विकासशील से भी नीचे जा चुका है, जैसा कि कुछ दिन पूर्व किसी अखबार में था, तो फिर क्यो न इस बार जनता ऐसे किसी भी नेता को वोट न करे जो 60 साल से ऊपर है, रिटायरमेंट की उम्र पर हैं। युवा ही देश का भविष्य है क्यो न युवाओ को मौका दिया जाए चाहे वह किसी भी पार्टी का हो। हम पार्टी आधारित क्यो हों।
विदित हो कि भारतीय राजनीति के क्षेत्र में 60 साल से अधिक की उम्र के लोगो को आज रिटायर करने की गुरुतर आवश्यकता है। इसे इस देश के युवाओं को व 60 साल से कम उम्र व देश को आगे ले जाने की परिकल्पना करने वालो को सोंचना ही होगा।
अब राजनीतिक दलों के 60 साल से अधिक बयोबृद्ध लोगो को वोट न देकर युवा, कर्मठ, व जुझारू लोगों को मौका दिए जाने की जरूरत है। तभी देश 21 वीं शदी में आगे बढ़ पायेगा।
सहमति असहमति का स्वागत है।।।

No comments:

Post a Comment

POST A COMMENT...

इन्हें भी पढ़ें : प्रकाशित आलेखों के शीर्षक