राजनीति (Politics) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोगों का कोई समूह निर्णय लेता है। सामान्यत: यह शब्द असैनिक सरकारों के अधीन व्यवहार के लिये प्रयुक्त होता है किन्तु राजनीति मानव के सभी सामूहिक व्यवहारों (यथा, औद्योगिक, शैक्षणिक एवं धार्मिक संस्थाओँ में) में सदा से उपस्थित तत्व रहा है। राजनीति उन सामाजिक सम्बन्धों से बना है जो सत्ता और शक्ति लिये होते हैं। राजनीति विज्ञान समाज और जीवन को समझने की दृष्टि ही नहीं देता, बल्कि करियर के लिहाज से भी खासा महत्वपूर्ण है। राजनीति विज्ञान पढकर आप विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी की तलाश कर सकते हैं। सिविल अभ्यर्थियों का मददगार राजनीति विज्ञान सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं के लिए भी पॉपुलर विषय है। इसका कारण यह है कि यह विषय जनरल स्टडीज का एक-चौथाई कोर्स कवर करता है। सिविल सर्विस परीक्षा में जनरल स्टडीज के 25 फीसदी प्रश्न राजनीतिशास्त्र से जुडे होते हैं। इसके अलावा, यह देश-विदेश की घटनाओं के विश्लेषण के साथ ही निबंध लेखन को भी आसान बनाता है।
कानून में एंट्री
पॉलिटिकल साइंस का बैकग्राउंड लॉ करने के लिए अच्छा माना जाता है। एलएलबी करके आप कानून के क्षेत्र में जा सकते समाज सेवा
राजनीति विज्ञान ऐसा विषय है, जो समाज सेवा के लिए छात्रों को प्रेरित करता है। समाज सेवा के जरिए आप जन प्रतिनिधि बन सकते हैं और लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं। वैसे तो इसके लिए राजनीति का ज्ञान ही काफी है, लेकिन यदि आपने इस विषय के ग्रेजुएट हैं, तो आपबेहतर वक्ता या जनप्रतिनिधि बन सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक
यदि आप राजनीति विज्ञान में पीजी हैं और राजनीतिक दर्शन, अंतरराष्ट्रीय संबंध, संविधान में दिलचस्पी है, तो आप राजनीतिक विश्लेषक भी बन सकते हैं। दूतावासों और स्वयंसेवी संगठनों में भी बेहतर अवसर हो सकते हैं। उच्च शिक्षा हासिल करके चुनाव विश्लेषक भी बना जा सकता है। इसके अलावा एमफिल या पीएचडी करने और किसी प्रोजेक्ट का अनुभव हासिल करने के बाद स्वतंत्र रूप से किसी सामाजिक विषय पर प्रोजेक्ट अपने हाथ में ले सकते हैं।
उच्च शिक्षा में संभावनाएं
यदि आप राजनीति विज्ञान से बीए ऑनर्स करने के बाद बीएड करते हैं, तो किसी सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में इस विषय के शिक्षक बन सकते हैं। वहीं एमए करने के बाद नेट व पीएचडी करके किसी भी कॉलेज में लेक्चरर या प्रोफेसर भी बन सकते हैं।
पत्रकारिता
राजनीति विज्ञान का ज्ञान आपको देश-विदेश की घटनाओं का विश्लेषण एवं समीक्षा करने में सक्षम बनाता है। आप मास कम्युनिकेशन और पत्रकारिता का कोर्स करके प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नौकरी तलाश कर सकते हैं।
और भी हैं विकल्प
आप राजनीति विज्ञान से ऑनर्स करने के बाद बैंक, न्यायिक सेवा, भारतीय प्रशासनिक सेवा, विदेश सेवा, मानवाधिकार, वकालत, एमबीए, रिसर्च इंस्टीट्यूट, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, पब्लिक रिलेशन आदि में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं।
कहां पढें
इसकी पढाई देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में होती है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस विश्वविद्यालय में एडमिशन लेना चाहते हैं।
राजनीति शास्त्र में रोजगार
राजनीति शास्त्र के अंतर्गत राजनीति के सिद्वांतों और आचरण तथा राजनीतिक प्रणाली और राजनैतिक व्यवहार का चित्रण तथा विश्लेषण किया जाता है। राजनैतिक विज्ञानी विश्व के सभी देशों और क्षेत्रों की राजनैतिक प्रक्रिया, प्रणाली और गतिशीलता का पता लगाने के लिए मानवीय तथा वैज्ञानिक परिदृश्यों और औजारों दोनों और दार्शनिकतावादी, सांस्थानिक, कार्यात्मक तथा प्रणालियों के अध्ययन जैसे व्यवस्थित दृष्टिकोणों का प्रयोग करते हैं।कई अन्य समाज शास्त्रों की तरह राजनीति शास्त्र ने भी केवल पिछली सदी में ही पूर्ण विषय क्षेत्र का दर्जा हासिल किया है। इसके बहुत से उप-क्षेत्र हैं। परंपरागत उप-क्षेत्रों में निम्नलिखित विषय क्षेत्र सम्मिलित हैं : (क) राजनैतिक सिद्वांत (ख) तुलनात्मक सरकार एवं राजनीति (ग) अंतर्राष्ट्रीय राजनीति/क्षेत्र अध्ययन (घ) लोक प्रशासन और (ड) राजनीतिक समाज शास्त्र। आधुनिक उप-क्षेत्र हैं : (क) मानवाधिकार (ख) लिंग अध्ययन (ग) शांति और संघर्ष समझौता अध्ययन (घ) नीति अध्ययन तथा (ड) गवर्नेंस अध्ययन।करीब ढाई सहस्त्राब्दि वर्ष पहले, राजनीति शास्त्र के पिता कहे जाने वाले अरस्तु (384-322 ईसा पूर्व) ने इसे 'मास्टर साइंस' करार दिया। लेकिन हाल के वर्षों में वैश्वीकरण, आर्थिक उदारीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी की क्रांति के कारण एक झूठी सोच बनायी जा रही है कि राजनीति शास्त्र, इतिहास और समाज शास्त्र आदि जैसे समाज विज्ञान के विषय लाभदायक नहीं रह गए हैं। अतः उनके लिए अच्छा रहेगा यदि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम शुरू किए जाएं। इस नकारात्मकता के परिणामस्वरूप एक तरफ इन विषयों को लेने वालों की संख्या कम हो गई है दूसरी तरफ सामाजिक विज्ञान स्नातकों के अंदर हीन भावना जन्म लेने लगती है। इस आलेख में इस बात पर जोर दिया गया है कि शिक्षा का मौलिक कार्य केवल अध्ययनकर्ताओं का कौशल और सूचना ज्ञान को बढ़ाना नहीं है बल्कि मानवीकरण को प्रोत्साहन देना तथा समाज में अमानवतावादी ताकतों के खिलाफ इसे एक मजबूत स्तंभ के रूप में खड़ा करना है। समाजशास्त्र से संबंधित विषय वास्तव में यह कार्य करते हैं। इसके अलावा ''ऊर्जा अर्जन'' के तौर पर भी ये समान रूप में अच्छे हैं। किसी व्यक्ति के जीवन को सफल बनाने में वास्तव में यदि कोई कमी रह जाती है तो वह कल्पनाशक्ति और दृढ़निश्चयता के अभाव के कारण होता है। राजनीति शास्त्र के छात्रों के लिए उपलब्ध् कुछ रोजगार के अवसरों का विवरण निम्नानुसार है। सर्वप्रथम यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी विषय में स्नातक अधिकतर रोजगारों के लिए योग्य होता है, जब तक कि संबंधित पद के लिए किसी विशिष्ट अपेक्षा की आवश्यकता की बात नहीं कही जाती। लेकिन समाज विज्ञानों के स्नातकों के लिए, उनके तर्क एवं विश्लेषणात्मक कौशलों, सम्प्रेषण योग्यता, मौखिक और लिखित दोनों तथा अपने समाज, इतिहास और संस्कृति के ज्ञान तथा संविधान, गवर्नेंस ढांचे तथा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के बारे में उनकी जागरुकता के कारण, अन्य स्नातकों की अपेक्षा कहीं ज्यादा अवसर होते हैं। इससे कहीं अधिक जो समाज विज्ञानों में उन्नत डिग्री प्राप्त करते हैं, वे डॉटा विश्लेषण और कम्प्यूटर का प्रयोग भी सीखते हैं। नीचे दिए गए कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कॅरिअर्स हैं जिनके लिए राजनीति शास्त्र अत्यधिक सफल रहा है।प्रशासनिक सेवाएं :राजनीति शास्त्र के छात्रों के विचार में उनके लिए सबसे अधिक सुस्पष्ट कॅरिअर सरकार में है, जहां केंद्र और राज्य सरकार स्तर पर विभिन्न प्रकार के रोजगार के विकल्प हैं। केंद्रीय स्तर पर ''स्वप्न रोजगारों'' में आईएएस, आईपीएम, आईएफएस तथा संबद्व सेवाएं सम्मिलित हैं। इन सर्वोच्च पदों के लिए भर्ती हेतु संघ लोक सेवा आयोग (www.upsc.gov.in), नई दिल्ली हर साल सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है।राज्य प्रशासनिक पदों में बीडीओ, तहसीलदार तथा कई अन्य महत्वपूर्ण पद शामिल हैं। राज्य स्तर के रोजगार प्राप्त करने के वास्ते व्यक्ति विशेष को प्रांतीय सिविल सेवा (पीसीएस) परीक्षाएं उत्तीर्ण करनी होती हैं। यह परीक्षाएं हर राज्य के लोक सेवा आयोगों द्वारा आयोजित की जाती हैं। हालांकि कोई भी व्यक्ति उनकी वेबसाइटों पर उपलब्ध् कोई भी दो स्वीकृत विषयों में परीक्षा दे सकता है, लेकिन राजनीति शास्त्र को इन परीक्षाओं में सर्वाधिक स्कोरिंग पेपर माना जाता है। इसके अलावा राजनीति शास्त्र के छात्रों को अन्य छात्रों की अपेक्षा सामान्य अध्ययन, निबंध् के पेपरों तथा साक्षात्कार में इसका अधिक लाभ मिलता है क्योंकि इनमें ज्यादातर प्रश्न राजनीति शास्त्र के क्षेत्र से होते हैं। इसलिए यह कहना आश्चर्यजनक नहीं होगा कि बहुत से आईएएस टॉपर्स ने राजनीति शास्त्र को अपने वैकल्पिक विषयों में से एक विषय के रूप में लिया था। उदाहरण के लिए वर्ष 2000 में सिविल सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्थान पर आने वाले 20 उम्मीदवारों में से 8 ने राजनीति शास्त्र को एक वैकल्पिक विषय के रूप में लिया था।शिक्षण :राजनीति शास्त्र के छात्रों के लिए शिक्षण एक अन्य लोकप्रिय व्यवसाय है। पचहत्तर प्रतिशत राजनीति शास्त्र में डिग्री धारक देश में शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत हैं और इनमें से ज्यादातर राजनीति शास्त्र विषय को पढ़ाते हैं। स्कूल स्तर पर समाजशास्त्र/भारतीय संविधान अध्ययन का मौलिक स्तर है। यदि आप राजनीति शास्त्र/समाज शास्त्र के शिक्षक बनना चाहते हैं तो आपके पास राजनीति शास्त्र में स्नातक डिग्री के साथ बी.एड योग्यता होनी चाहिए।कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर लेक्चरशिप के लिए राजनीति शास्त्र में मास्टर डिग्री (55% अंक) जमा लेक्चरशिप हेतु पात्रता परीक्षा (नेट परीक्षा) उत्तीर्ण की होनी चाहिए। यह परीक्षा वर्ष में दो बार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (www.ugc.ac.in) द्वारा आयोजित की जाती है। हालांकि एम.फिल./पीएच.डी छात्रों के लिए नेट अनिवार्य नहीं है लेकिन अन्य छात्रों की अपेक्षा वरीयता पाने के लिए किसी भी व्यक्ति को उन्नत डिग्री हासिल करना उचित रहेगा।अनुसंधान :भारत में कई ऐसे प्रमुख विश्वविद्यालय और अनुसंधान संस्थान हैं जो भारतीय या विदेशी वित्त पोषण एजेंसियों, दोनों द्वारा प्रायोजित राजनीति शास्त्र से संबंधित विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं संचालित करते हैं।उन्हें इन नीति संगत परियोजनाओं के लिए अनुसंधान विश्लेषकों/अनुसंधानकर्ताओं/रिसर्च एसोसिएट्स की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास राजनीति शास्त्र में कोई उन्नत डिग्री है तो आप इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आप प्रमुख भारतीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों की वेबसाइटें देख सकते हैं :-जैसे कि रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (www.idsa.in) शांति और संघर्ष अध्ययन संस्थान (www.ipcs.org), विकासशील अध्ययन संस्थान (www.csds.in), सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च (www.cprindia.org), ऑब्जर्वर रिसर्च फाउण्डेशन (www.observerindia.com), संघर्ष प्रबंध् संस्थान (www.stap.org/satporgtp/icm/index.html). रणनीतिक और सुरक्षा अध्ययन मंच (www.stratmag.com), पीआरएस लैजिस्लेटिव रिसर्च (www.prsindia.org), सेंटर फॉर लैजिस्लेटिव रिसर्च एंड एडवोकेसी (सीएल आरए), नई दिल्ली (www.clraindia.org) आदि। इन अनुसंधान पदों के अलावा आप अपनी पोस्ट ग्रैजुएशन के बाद इन तथा कई अन्य संस्थानों में विभिन्न इंटर्नशिप कार्यक्रमों के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC, http://nhrc.nic.in), नई दिल्ली तथा संसदीय अध्ययन ब्यूरो के प्रशिक्षण इन्टर्नशिप कार्यक्रम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।विधि :राजनीति शास्त्र के छात्रों के लिए विधि एक बहुत लोकप्रिय विषय रहा है। हालांकि विधि महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए राजनीति शास्त्र का होना आवश्यक नहीं है लेकिन प्रवेश परीक्षा की तैयारी या परीक्षा में अन्यों की अपेक्षा अच्छे प्रदर्शन के लिए आप इन विषयों के साथ अधिक फायदेमंद हो सकते हैं क्योंकि राजनीति शास्त्र के तहत कई विधिक विषयों का भी अध्ययन कराया जाता है। विधि में डिग्री के उपरांत कॅरिअर का मार्ग एकदम भिन्न हो जाता है और कुछ तो अन्य व्यवसायों में चले जाते हैं लेकिन ज्यादातर विधि व्यवसाय से ही जुड़ जाते हैं। इनमें निजी प्रेक्टिस, न्यायिक सेवा, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों या निजी एजेंसियों के अधिवक्ता के रूप में कार्य करना शामिल है।पत्रकारिता :राजनीति शास्त्र से संबंधित छात्रों के लिए संचार के कुछ क्षेत्रों में रोजगार की अच्छी संभावनाएं होती हैं लेकिन भारत में 1980 के दशक के शुरू में इसमें वृद्धि हुई। समाचार- पत्रों, पत्रकारिताओं और कुछ हद तक इलैक्ट्रॉनिक समाचार माध्यमों को हमेशा ऐसे सक्षम व्यक्तियों की आवश्यकता रहती है जिन्हें राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों की अच्छी समझ के साथ-साथ, उनमें सम्प्रेषण कौशल भी हो। आज की प्रतिकूल टीका-टिप्पणी के पत्रकारिता के दौरे में उन व्यक्तियों के लिए अधिक अवसर हैं जिन्हें राजनीति की समझ है तथा वे समस्याओं और घटनाक्रमों पर शोध् करके सुस्पष्ट और विस्तृत समाचार टिप्पणियां लिख सकते हैं। लेकिन पत्रकारिता में जाने के इच्छुक राजनीति शास्त्र के छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और जनसंचार में कोई डिप्लोमा या डिग्री प्राप्त कर लें।अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय संगठन :हाल के वर्षों में सरकारी और निजी दोनों तरह के अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का जबर्दस्त विस्तार हुआ है। इसके साथ ही भारत में घरेलू संगठनों की संख्या में भी, विशेषकर 1990 के दशक के आरंभ में, काफी वृद्धि हुई है। चाहे यह संयुक्त राष्ट्र हो या इसकी विशेषीकृत एजेंसियां हैं या पर्यावरणीय, मानवाधिकार, आर्थिक और राजनीतिक रुचि वाले समूह हैं, इन सबको प्रबंधन, शोध् और अन्य सरकारी और निजी संस्थानों के साथ संपर्क के लिए व्यक्तियों की आवश्यकता होती है। इस क्षेत्र में रोजगार के लिए हालांकि राजनीति शास्त्र में डिग्री एक उत्कृष्ट योग्यता है, लेकिन छात्र विदेशी भाषा कौशल या क्षेत्र विशेष में विशेषज्ञता हासिल करके अपना कुछ स्थाई विकास कर सकते हैं। राजनीति शास्त्र से जुड़े रोजगारों के बारे में जानकारी के लिए आप इंटरनेट, स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार- पत्रों, एम्प्लायमेंट न्यूज्/रोजगार समाचार देख सकते हैं तथा अपने कॉलेज/विश्वविद्यालय के सूचना और मार्गनिर्देशन ब्यूरो से संपर्क कर सकते हैं।राजनीति शास्त्र में संप्रति रोजगार के अवसर ही नहीं, बल्कि इसका भविष्य भी उदीयमान है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कई बार आधुनिक शिक्षा में क्रांति की बात दोहराई है तथा नौंवी पंचवर्षीय योजना (2007- 2012) को ''राष्ट्रीय शिक्षा योजना'' की संज्ञा दी गई है। इस योजना के अंतर्गत शिक्षा के लिए अभूतपूर्व व्यय देखने को मिलेगा। अकेले केंद्र सरकार 30 नए केंद्रीय और विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय, शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े जिलों में 370 कॉलेज, प्रत्येक विकास खण्ड में 6000 उच्च श्रेणी के विद्यालय, 8 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), 7 भारतीय प्रबंध् संस्थान (आईआईएम) के साथ-साथ कई अन्य शिक्षण संस्थान खोलने जा रही है। यहां यह उल्लेख करना समीचीन होगा कि आईआईटी दिल्ली जैसे कुछ आईआईटीज ने हाल में अपने समाज विज्ञान विभागों में राजनीति शास्त्र को एक विषय के रूप में शुरू किया है।लगभग सभी भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालय राजनीति शास्त्र में मास्टर और अनुसंधान स्तर के पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं। नीचे कुछेक प्रमुख विश्वविद्यालयों की सूची दी गई है जो भारत में राजनीति शास्त्र/अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में डिग्री कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं:विश्वविद्यालय का नाम संचालित डिग्री वेबसाइट पताजवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, एमए, एम.फिल. www.jnu.ac.in/ नई दिल्ली और पीएच.डीदिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एमए, एम.फिल. www.du.ac.in/और पीएच.डीहैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद एमए, एम.फिल. www.uohyd.ernet.inऔर पीएच.डीइलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद एमए, एम.फिल. www.allduniv.ac.in और पीएच.डीअलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बीए, एमए, एम.फिल. www.amu.ac.inअलीगढ़ और पीएच.डीबनारस हिंदू विश्वविद्यालय, एमए, एम.फिल. www.bhu.ac.inवाराणसी और पीएच.डीपांडिचेरी विश्वविद्यालय, पुड्डुचेरी एमए, एम.फिल. www.pondiuni.orgऔर पीएच.डीपंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ एमए, एम.फिल. www.puchd.ac.inऔर पीएच.डी पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्वविद्यालय, एमए, एम.फिल. www.nehu.ac.inशिलांग और पीएच.डीउत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर एमए, एम.फिल. http://utkal.utkalऔर पीएच.डी. university.orgजादवपुर विश्वविद्यालय, कोलकाता बीए, एमए, एम.फिल. और पीएच.डी www.jadavpur.eduमद्रास विश्वविद्यालय, चेन्नै एमए, एम.फिल. http://www.unom.और पीएच.डी. ac.in/सूची सांकेतिक है- हालांकि उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। उदाहरण के लिए विश्व बैंक द्वारा किए गए हाल के अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में 10 से 25 प्रतिशत सामान्य कॉलेज स्नातक ही रोजगार के लिए उपयुक्त होते हैं। अतः हमारे देश को डिग्री निर्माण उद्योग बनाने की बजाए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में सुदृढ़ करने की बहुत जरूरत है, क्योंकि नियोक्ता लोगों को चुनते हैं, डिग्रियों को नहीं। अपनी शिक्षा के साथ-साथ कामकाज और सामुदायिक गतिविधिओं के जरिए आप जो कौशल और ज्ञान अर्जित करते हैं उसका नियोक्ताओं के निर्णयों पर जबर्दस्त प्रभाव पड़ता है।
http://www.rojgarsamachar.gov.in/careerdetails.asp?id=397
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